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Thursday, November 4, 2010

दीवाली के शुभ अवसर पर

 

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दीवाली के शुभ अवसर पर
लड्डू और बताशे खाएँ
बुलेट-हाइड्रो-बीड़ी-चॉकलेट
फुलझड़ियाँ भी खूब जलाएँ ।

घर-आंगन औ दर चौखट पर
गली-गली औ हर जमघट पर
हरें तमस औ दिये जलाएँ
मिल-जुल गाएँ- खुशी मनाएँ ।

 

धनवानों के घर तो हर दिन ही
होली होती है या दीवाली
पर दुखियों से जा कर पूछो
जिनकी दीवाली भी है काली ।
भूख-कर्ज और दुःख-निर्धनता
जहाँ समस्या ही है खाली
पेट-पीठ में जहाँ न अंतर
क्या होगी होली- दीवाली  ॥

मस्ती का है बंधा ये समाँ
दुःख फैलाना नहीं चाहता
मगर किसी गरीब के सामने
पटाखे जलाना भी नहीं चाहता ।

आओ, हम सब मिल-जुल कर
दो-पग बढ़ाएँ प्रगति पथ पर
रामचंद्र बन रावण रूपी-
अंधकार का नाश करें ।
दुखियारे भाई-बहनों को
आओ अपने पास करें ॥

यह उद्योग करें इस बारी
हर कुटीर में पके रसोई
शेष रहे ना कहीं खिन्नता
भूखा रह न रह जाए कोई ।

कुछ उनका दुःख हम सब बाँटें
कुछ सुख अपना दे दें उनको
मिल कर ऐसा कुछ कर पाएँ
लगे दीवाली प्यारी सबको ।

 

दीवाली के शुभ अवसर पर
लड्डू और बताशे खाएँ ।
बुलेट-हाइड्रो-बीड़ी-चॉकलेट
फुलझड़ियाँ भी खूब जलाएँ ।

आप सबों को मेरी तरफ से
दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ ॥
:)

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